Ammu Rakhela

 (मनीष और विशाल आम तोड़ने गए)

विशालः मैं आम गिरा रहा हूं तुम उठा उठा-उठा के रखते जाना अपन बाद में बटवारा करेंगे ठीक है

मनीषः  ठीक है, गिराऔ

(विशाल आम गिराने लगता है जैसे ही पत्थर आम में लगता है, एक अलर्ट सायरन बजने लगती है, जिससे दोनों डरकर भागने लगते है, और भागते भागते आसूं (अम्मू रखेला) से टकराते हैं)

आसूः रहता हूं मैं अकेलामेरा नाम हैं अम्मू रखेला” और अम्मू रखेला के इलाके आम तोड़कर भागना मुश्किल ही नही, न मुमकिन है।

मनीषः कौन से, आम, हम आम थोड़ी तोड़ रहे थे,

आसूः अगर आम नही तोड़ रहे थे, तो भाग क्यो रहे थे,

विशालः अरे हम भाग थोड़ी रहे थे, हम दोनों तो जोगिंग कर रहे थे, ये देखों (व्यायाम करके दिखाता है)

आसूः अब ज्यादा हुशियारी ने दिखाओ, तुमने आम में पत्थर मारा इसलिए तो सायरन बजी,

मनीषः अरे वो तो हम उस आम पर से कोयल को भगा रहे थे, कही तुम्हारे आम खा जाती तो,

आसूः अच्छा तो ऐ तो अच्छी  बात है,  मुझे समझ नही आ रहा कि तुम्हारा धन्यवाद कैसे करूं ,

विशालः कुछ नही तुम तो हमें 10-15 अमियां दे दों हम खुश हो जायेगें।

आसूः खामोश, हाथ गोड़े तोड़ दे, अगर अमियां मांगने की कोशिश की तो,

विशालः अरे वो तो हम मजाक कर रहे थे, लेकिन हमें जो तो बता दो आम में पत्थर घले से शायरन कैसे बज जात,

आसूः अरे वो हम तुम्हे कय बतायें कि आम में सेंसर लगायें,

मनीषः  तो तो कौई तुमाये आम कोई तोड़ई ने पाउत हुईयें, और तुम कैसे तोड़ लेत।...

आसूः हम कय बतायें के लठिया से आम तोड़ने पर ओए ओए नई बजत,

विशालः अच्छा तो ठीक है, फिर तो दाऊ चल रये फिर,,,,

(दूसरा सीन)

 

(मनीष और विशाल आम तोड़ने द्वारा आते है, और  अम्मू रखेला सो रहा होता है)

विशालः जाओ उसकी लठिया लेकर आओ अबकी बार अमियां लेई के जाने,

(दोनों धीरे-धीरे अम्मू रखेला के पास से लठिया उठा लाते है, और जैसे ही लठिया से आम गिराने लगते है, अम्मू रखेला फिर सामने आ जाता है)

आसूः  रहता हूं में अकेला, मेरा नाम है अम्मू रखेला, और अम्मू रखेला के इलाके से आम तोड़ना मुस्किल ही न मुमकिन है....

मनीषः कौन से आम वो तो हम चेक कर रहे थे कि लठिया से आम गिराने पर सच में तुमाई ओये ओये  बजत के नई,

विशालः तुमाई ओयें ओये तो नई बजी लेकिन तुम कैसे उठ के आ गये, तुम तो सो रये थे,

आसूः (सोचते हुएः नीद में ने पड़ो) अब इते से फूट लेओ नई तो हलुआ ने मुर है, अगर अब आम तोड़त दिखा गये तो,

(आसू लट्ठ उठा के भगा देता है दोनों को )

(तीसरा सीन)

(विक्रम वही बैठकर कुछ पढ़ रहा है, तभी दोनों वहां, आ जाते है,)

मनीषः दाऊ यार कछू उपाय बताओ, वो अम्मू रखेला के मारे तो आम ही खावे नई मिल पा रयें ई सालः

विक्रमः कौन अम्मू रखेला

विशालः अरे है एक अजीब आदमी, बताओ, आम के पेड़े में सेंशर लगाये कि पत्थर मारतई बजन लगत,

विक्रमः अगर ऐसी बात है, तो एक काम करों, तुम उके लानें रील और शोर्ट बनावे की आदत डलवाओ तब, वो रील और शोर्ट के चक्कर में फस जे है, फिर तुम लोग चाहे जितने आम तोड़ लइयों, वो उसी में फसो रे हे, फिर उसे दुनियां की मोह माया दिखेगी ही नही,

मनीषः गुड आईडिया, चलो तो फिर,

चोथा सीन

(दोनों चले जाते है, और वह उसके आम के पास चला जाता है, अम्मू बही बैठकर मोबाइल चला रहा है)

विशालः और दाऊ,

आसूः फिर आ गयें तुम्होरे आम गिरावे, (लाठी लेके उनको मारने के लिए करता है.)

मनीषः अरे कहां तुम इन आम माम के चक्कर में पड़े, तुम एक काम करों, शोर्ट और रील बनाउं लगों,

आसू­- कैसी रील, और ऊ से होत का आ है,

विशालः अरे फेमश हो जे हो तुम ऊपर, पैसोई पैसो की वरसात हुईयें पैसोई पैसो की

आसूः अच्छा तो फिर कैसे  बनाये रील

मनीषः रील बनावे से पहले रील देखों, फिर जोन पसंद आये औई पे बनाओ,

आसूः अच्छा, बताऊत जज्जो,

विशालः अरे हमोरे तो है, और जोन ने आम में सेंसर लगा लओ ऊ बंदा में टेलेंट की कमी थोडी न होगी,

आसूः जा बात तो हौ, अब तुम्होरे हमें डिस्टर्व ने करईये, देखई ओ हम 2-3 दिन में फेमस हो जै है,

मनीषः तो गप्पे ने झाडों अब शूरु करो,

(जैसे ही आसूं रील बनाने लगाता है, दोनों आम गिराने लगते है, जिससे आसूं फ्रंट केमरा में देख लेता है, और सामने आ जाता है,)

आसूः मिटा दूंगा थूतिया, बना नही सकता मुझे कोई चूतिया, अब भग रये के नई, इते हमें बिदा के आम या तोड़ने इन है,

(पांचवा सीन)

मनीषः करो तो हमोरे ने विल्कुल बैसो ही हतो लेकिन, बात नई बनी,

विक्रमः सो जा सलाह कौन ने आ दई एक तुरंत अमिया गिरान लगईयों , तनक  उसके लाने आदत पड़न देते, जब वो विल्कुल उसमें खो जातो तब जाके अमियां गिराते, चलों अब छोड़ो, अब ऐसों करों से कौई फायद नईया, मेरें पास एक आईडियां है,

विशालः तो जल्दी बताऔ, अमियां तो तोड़ने है जरूर अब तो हमाई इज्जत पे बन आई,

विक्रमः जा लेओ वेहोशी की शिशियां, अबकी बार ऊ के लानें, बेहोश कर दईयों फिर मर्जी जितनी, उतनी अमियां तोड़ लईयों,

मनीषः अरे जो उपाय पहले कय नई बताओ, देओ वा शिशिया नाये हो,

विक्रमः अरे हमने कई अगर घी सीधी उंगली से निकल आये तो कये हो टेड़ी करने पड़ , जा लेओ,

मनीषः पहले स्तेमाल करें फिर विश्वास करें, (विक्रम को ही वेहोश कर देता है)

(दोनों धीरे धीरे आते है, और आसूं को रूमाल से दवा सूंघा देते है, और आम गिराने लगते है, लेकिन जैसे ही आम गिराते है, वो फिर सामने आ जाते है)

 

आसूः क्या समझ रखा हैं मुझें, जब तुम लोग मुझे दवा सुंघा रहे थे, तब सांस लेना ही बंद कर दिया था, जब सांस ही न नही लूंगा तो दवा अंदर कैसे जायेंगी, जब अंदर ही नही गई, तो बेहोस कैसे होता,

विशालः बड़ा खतनांक यार ये तो , अब जान प्यारी है तो भागों,

(दूर जाकर लेकिन आम तो तोड़ना ही इसके), लेकिन तुमने तो सब गुड़-माटी कर दिया, विक्रम को ही वेहोश कर दिया अब किससे लेंगे आईडिया,

मनीषः अरें बेहोश ही तो किया है, जान से थोड़ी न मारा है, चलो आ गया होगा होश में,

विशालः अरे अब रहने दो , गुस्सा अलग से होगा, मेरे पास एक आइडिया है,

(दोनो शेर की आवाज में उसे डराते है लेकिन वो पीछे  आकर उन्ही को पीठ देता है)

मनीषः ये आईडिया था, तुम्हारा अब मेरा आइडियां देखों,

(दोनों आपस में सलाह बनाकर जाते है, और भूत बनकर आसूं को डराते है, लेकिन आसूं स्वयं ही उनके सामने भूत बन जाता है और जिससे दोनो डर जाते है, और भाग जाते है, फिर कभी भी लोटकर नही आतें)

 

 

 

 

 

 

 


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