The Bhadya
The Bhadya
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Part 01
(दो लोग रास्ते से जा रहे थे, तभी किसी ने उन्हें रोका)
भढ़याः जो कुछ भी हो तुम्हारे पास में सब निकाल के हमें दे दो
विशालः (घवराते हुए) हमारे पास तो कुछ नही है.....
भढयाः हां चालक मत बनों जो भी साथ लिए हो सीधे से हमें दे दों...नही तो सीधे ऊपर पहुंचा दे देंगें....
विशालः अरें यार बता दो दिया, मेरे पास कुछ है ही नही तो कहा से दे दे....
मनीषः क्यों झूठ बोल रहे हो विशाल भाई, तुम्हारे जेब में ही तो रखें थे, 5000, वो कहां गयें
विशालः बो तो खर्च हो गये थे यार (इसारे से) तुम चुप रहो यार...
मनीषः अरे ऐसे कैसे खर्च हो गये थे, देखो तो जेब में, (भढ़या से) भाई साहव आप देखो इसकी उस बाली जेब में,
भढ़याः चेक कराऔ मुझे
(भढ़या चेक करने लगता है ओर विशाल की जेब में सच में 5000 रुपयें मिल जाते है)
भढ़याः यह हे न ठीक है, ओर क्या है, इसके अलाबा
विशालः अब कुछ नही बचा यार, 5000 ही वचे थे जो आपने ले लिए, अब हमे जाने दो
मनीषः कय विशाल भैया वे ऊपर वाले जेब के कहां चले गये,
विशालः (गुस्से से और गुस्सा दबाते हुए) कौन रुपये यार, तू भगवान के लिए शांत रह
मनीषः (तेज से ) बही जो बेंक मे जमा करने के लिए रखे थे, (भड़या से) भाई साहव आप इसकी ऊपर वाली जेब और चेक करलों
(भड़या चेक करता है ओर ऊपर वाली जेब में 2000 और मिल जाते है मनीष उनको लुटवा देता है, )
(फिर भड़या इंतजार करते है किसी के आने का, तभी आनंद आता है)
भड़याः देख वो आ रहा है शिकार, उसे चारो और से घेर लो,
दूसरा भड़याः लेकिन हम तो दो ही है
भड़याः तो दो और से घेर लेये
(दोनों भड़या आनंद को रोकते है)
आनंदः ये सब क्या है,
भड़याः जितना माल लियों सब हमें दे दो,
आनंदः पहने हमें बताओ तो तुम्होरे आओ को, हमाई गेल छेड़वे वाले.... भिखारी हो का भीख सी मांग रये
भड़याः हम लोग लोग भड़या आयें,,,,
आनंदः है तुम ओरे भड़या होई नई सकत, ने तुम्होरे के पास कोई बंदूक आये, ने तो तुम्होरो पे डरवातो बनत, हय ऐसे थोड़े होत भड़या...
भड़याः मालक हमोरे गरीब आदमी आयें, अगर पैसा होते तो इन गर्मी की दुपहियों में भड़याई कय हो करते, तुम्होरे जैसे कूलर, ऐसी की हवा में ने सोयते....
आनंदः हट्ठ तुम्होरो की, तुम्होरे पूरे चुतियां हो,,, भड़या कवउ कोनउ हो अपने दुखड़ा नई सुनाउत, तु्म्होरे तो भड़या खानदान की नाकई कटवाये दे रये.... ओर जो का मालक-मालक लगायें,,,, भड़या कवउ कोनउ से मालक नही बोलत....
भड़याः अवे हमोरे नये-नये है हमोरो के मालक दूसरे है, हमोरो की अवई नई-नई भरती भई....
आनंदः अच्छा तो तुम्होरे नये हो, इसलिए तो तुम्होरो पे कछु नई बनत, आओ हम सिखा रये तुम्होरो हो भड़याई करवों.....देओ अपनी छुरी हमें...ओर देखों तुम दोनों हम अकेले कैसे समारत
भड़याः अरे आप तो हमारे गुरू है, लेओ जा छुरी, ओर हमोरे आ रये...
आनंदः देओ और आओ
(जैसे ही दोनों आते है, आनंद एक भड़या की गरदन में चाकू अढ़ा लेता है)
आनंदः तुम दोनों के पास जो कुछ भी हो हमें दे दो सव
भड़याः (घवराते हुए) मालिक जो का कर रयें....
आनंदः अरे असली थोड़ी आये तुम्होरे दे तो देओ हमें, हम तुम लोगों हो सिखा रये
भड़याः अच्छा , वाह गुरू, आप तो हमारे सरदार से भी बड़े बाले निकले, बहुत बडिया, इसके आगे क्या करना है...
आनंदः तुम दोनों पैसे तो निकाल के देओ फिर हम बता रये, चिंता ने करियों बाद में सब के सब लोटा दे है....
भड़याः अरे हमें तो आप पे तो पूरो भरोसो है गुरु, ले लो पैसे ओर आगे का बताओ,,,
आनंदः (गर्दन के पीछे छुरी रखते हुए , आगे की ओर जाते हुए) तुम यही रुको मेरे प
भड़याः लेकिन गुरू आप इसको लेकर क्यो जा रहे है, यही भी तो छोड़ सकते हो...
आनंदः मूर्ख, अगर ऐसी कंडीसन आ जाती है कि तुम एक हो और आदमी दो तो एक को वही रोककर, एक को आगे ले जाना पड़ता है, ताकी दोनों एक साथ उस पर हमला न कर पायें और आपको भागने आसानी मिलें, तुम दोनों देखों अभी, में इसको तुमसे दूर ले जाकर इसे बही छोडूंगा, फिर भाग जाउंगा...
भड़याः वाह गुरू जी, आप तो महान हो, ऐ तो मैनें सोचा ही नही, आप आगे की समझाइए
(आनंद उसको दूर ले जाकर छोड़ देता है,)
आनंदः ठीक है, तुम यही रुको, मैं भाग कर वताता हूं,,,,
(आनंद भाग जाता है, कॉफी दे बाद, जब आनंद लौटकर नही आता)
भड़याः अरे यार गुरू तो अभी तक लोट कर नई आयें...
दूसरा भड़याः अरे यार कही बह चूतियां बनाकर, भाग तो नही गया
आनंदः (दूर पहुंचकर) साला हमसें पंगा, भडया भड़याई कर आयें नंगा...
(फिर आता है द भड़या के हैड का सीन जिसे भड़या के साथी, उसे सरदार कहकर बुलाते है)
सुजानः कितने आदमी थे?
भड़याः एक था सरदार...
सुजानः वह एक और तुम दो फिर भी तुम दोनों लुट , सालों लूटने गए थे या लुटने ....
भड़याः वह स्मार्ट आदमी था सरदार, हमें भड़याई सिखाने के चक्कर में हमें चूतियां बना गया...
सुजानः बिल्कुल चुप,,, तुम दोनों को भड़याई करने के लिए भेजा था, या स्कूल....
भड़याः आई एम सोरी,,,, सरदार द्वारा से ऐसी गलती नही होगी....
सुजानः मन तो कर रहा तुम्हे यही चाबुक मार-मार कर चकुन्दर बना दें तुम दोनों का, लेकिन हम रहम दिल वाले आदमी आयें, इसलिए तुम्हे एक मौका और दे रयें...
दोनों भड़याः (एक साथ) थेक्यू सरदार...
सुजानः हमें बड़ी चोरी करना है, और दुनियां का सबसे बड़ा भड़या बनना है, अब हमें लगता है यहां रास्ते पर चोरी करने से कुछ नही होने वाला
भड़याः तो इसके लिए क्या करना पडे़गा, सरदार...
सुजानः अब हमें घर-घर जाकर लूटमार करनी होगी, चोरी करनी होगी, डाका डलना होगा... तभी हम कुछ बड़ा कर पायेंगें...
भड़याः लेकिन कैसे सरदार, बहुत से लोग जागरुक हो चुके है, जैसे ही हमें देखेंगे तुरंत अपनी धुलाई करदे है, या पुलिस हो बुलाकर जेल भिजवा दे हैं...
सुजानः मेरे एक तरकीब है यहां आओ, सब के सब....
(सब इकट्ठे आ जाते है, सुजान कान में से कुछ कहता है और सरदार की बाहावाही करते है ओर सरदार और भड़या सभी आगे चलने लगते है)
Part 02
दूसरे सीन में भड़या रोड वंद करने के लिए रोढ पर डिमला रखते है
आसूः सरदार आप भी रखवा लेओ डिमला, हमें अकेले ने खाने सबरे पैसा, तुम्हे बैठे-बैठ सबरो चाने, इते आके मेहनत करो तो जाने
सुजानः सरदार कभी डिमला नही उठाता
रविः जैसे ही गाड़ी से उतरकर डिमला हटाने लगता है,,,,
भड़याः गाड़ी उठाकर ले जाता है,
रविः ओय भाई ओय, (लेकिन चोर चोरी करके जा चुके होते है... )
विशालः देखो इते मिलत है भड़या, अबकी बार रहियों सतर्क और अब बताने ने नईयां कि हम कहां और कितने पैसा रखे.
मनीषः कय हमें विल्कुल चूतियां ही समझ लओ, पिछली बार लुट गयें थे, अबकी बार ने लुट है...
सुजानः देखो जे जा रये दो जनें इन हो लूट लेऔ...
(आसूं और विक्रम दोनों को पकड़ लेते है)
आसूंः चलो जो कुछ भी तुम दोंनो मे से रखे होये जल्दी धीलों तनक हमोरो हों गांव भी जाने लूट-लाट करवें...
मनीषः है हमोरों चूतियां समझों कय पिछली बार लुट गये थे सो कय ई बार भी लुट जे है, अबकी बार हम बतायेगी ही नही कि विशाल की ऊ बारी जेब 500 रुपयां रखें.
विक्रमः आसूं चेक करों इसका बह वाला जेब.....
आसूः मिल गयें 500 सों ....
मनीषः है तुम्हे कैसे पता चल गओ, अब हम जा भी ने बते है कि विशाल जोन बा घड़ी पेरे है, बह 4000 हजार की आयें...
लिक्रमः आसू निकाल लो जा घड़ी भी.....
मनीषः अरे यार इन हो तो सब पता चलत जा रओ, अब हम जा बता हे ने कि हम भी 700 रुपये रखें है,
विक्रमः दिखाओ अपनो जेब....
मनीषः अरे यार तुम्होरों हो तो सब पता चल गओ, अब ऐसो करों हमोरो हो कछु डिस्काउंट भी तो देओ, हमोरो हर बार तुमोरो किते से लुटत..
आसूः चलों अब निकल लेओ, हमोरो हो ब्यहार नई बनाउनें.....
विशालः तुमने फिर लुटवा दओ....
मनीषः अबकी बार हमने थोड़ी लुटवाओ, तुमने बोली थी के भड़या हो सही नई बताने आउत, तो हमने पूरी-पूरी झूटी तो बोली....
विशालः विल्कुल चुप, अगली बार हमायें साथ आ ने जईयों
(कुछ दोस्त आपस में बातचीत करते है)
आसूंः तुम्हे पता है, गांव गांव भडया फिर रये है....
आनंदः अच्छा, सो का हो गओ...
आसूंः का हो गओ को का मतलब वे सब लूट के ले जात....
आनंदः सब लूट के ले जात, तो ले जान दो हमाये के धरो ही का हैं,
आसूंः अरे रहन दो, तुमारी समझ में न आ है....
आनंदः आ हे कैसे ने, हमें सब समझ में आ रई 12 वी पास आ कर लई, अनपढ़ थोड़ी आ बैठे, बताओ कैसे लूटत वे भड़या
आसूंः कैसे लूटत को का मतलब, भड़या में लुगाई भी संगे,,,
आनंदः अच्छा सो वे का करत ...
आसूंः सुनवे में मिली है कि वे पहले जोन उनके साथ लुगाई है बा पानी पीने के बहाने कोई के भी घर में घुस जात , फिर पता कर लेत के घर मैं कौन-कौन है, मौका देख के सब संग वालो हो बुला लिया आउत और चोरी कर लेत
आनंदः बस इतनी सी बात , हम एक काम ने कर है, हम कोनऊ लुगाई या लुगवा कोई हो भी पानी ने देवी....
आसूंः जे आ तुम पढ़े-लिखे हो, इंसानियत नाम की भी कोई चीज होती है यार....
आनंदः तो फिर का करन लगें, लुट जायें..
आसूंः जाई तो समस्या है, एक काम कर सकत किसी को भी अंदर आने न दिया जाये...
(एक घर का डोर वेल बजता है....घर में जो भी होता है दरवाजा खोलता है...)
सुजानः आ जाओ, आ जाओ, अपनों ही घर आयें....
(सब के सब अंदर आ जाते है)
विक्रमः (आश्चर्य से) माफ कीजिए, मैने आप लोगों अभी पहचाना नहीं..
सुजानः अरे तुम ने पहचान हों, हमें दूर के रिश्तेदार आये, तुमाये पिताजी के फूफा के जीजा के ससुर का लड़का, सो हम अपने मोड़ा को कर रयें है विवाह, सो जो निमंत्रण देवें के लाने आये थे..
विक्रमः अच्छा , इतनी लम्वी रिश्तेदारी तो हम जानत नईयां, आप सब बैठो हम आपके लाने हम तुमाये लाने पानी-बानी ला रये...
सुजानः हऔ, लियाओ, धूप में से आये, तो बड़ी प्यास लगी है...
विक्रमः (विचार करता है )का करें यार हम पहचानें तो है, नईयां अब आ गये तो खातिर दारी तो करने पड़ है....
(विक्रम पानी देता है ओर लोंग सिपड़ी वेगरह देता है...)
विक्रमः और का लाये चाय-वाये बनायें....
सुजानः अरे बस-बस, अब कुछ नही चाहिए...ओर बताओ, घर में कौन- कौन है अभी
विक्रमः घर में तो फिलहाल अवे हम अकेले है....
सुजानः वाकी सब कहा गये...
विक्रमः यही हार में, बस गुम्मा पर रहे तो सब उतई गये है, आप कहो तो बुलायें उन हो...
सुजानः नही रहन दो , जरुरत तो हमें तुमाई भी नईयां इतें
विक्रमः मतलब,
सुजानः (मतलब) हमोरे तुमाये रिश्तेदार, विश्तेदार नोई, हमोरे आये भड़या तुमाये किते आये लूट वे
(सुजान पीछे हाथ बड़ाता है, दूसरा भड़या ताली देता है)
सुजानः अवे ताली नही, छुरी दे छुरी ,
भड़याः सोरी सरदार, यह लो,,,,
सुजानः (विक्रम को गर्दन में छुरी रखकर) चल मुझे वहा ले चल जहां घर का सारा धन रखा है...
विक्रमः हओ ले चल रये पहले जा छुरी तो उठाओ हम ले चल रयें तुमे उसी कमरा में,,
विक्रमः (दरवाजे पर खड़ा होकर ), देखो बहां रखा है सारा घर का सामान जाकर उठा लो...
(सभी भड़या खुश हो जाते है, जैसे ही सभी चोर (भड़या) सामान के पास पहुंचते है विक्रम खटाक से दरवाजा लगा देता है, चोर दरवाजे की तरफ आते है )
भड़याः ओये , ओये, ओये....
विक्रमः (दरवाजे की बाहर से कुंदी लगाने के बाद) हम से चालाकी, हमने कच्ची गोलियां थोड़ी ही खेली है अभी और देखते जाओ ...
(विक्रम मिर्ची लाकर दरवाजे के पास, उसमें आग लगा देता है, अंदर सभी भड़या को ठसकी आने लगती है , और सभी खासते-खासते बेहोस हो जाते है)
विक्रमः (कॉल पर) हलो पुलिस मैने चोर को पकड़कर कमरें में बंद करके रखा है जल्दी से आओ....
(पुलिस की सायरिंग बजती है पुलिस आ जाती है)
ओसूः (जो कि पुलिस में है) कहा है भड़या
विक्रमः वे घुसे है कमरा में,
आसूः अंदर जाता है, खासते हुए देखता है , ये तो सब वेहोस पड़े (ओर सांस देखता है)
आसूः ले चलो इन सबको ओर खिलाओ जेल की हवा......
Thanks for Reading.....