Naukari ki dukan

Naukri ki dukan

मुहल्ले का क्रिकेट

(एक दुकान के सामने एक बोर्ड लगा था जिसमें लिखा था, हमारे यहां सभी प्रकार की सरकारी नोकरियां उपलब्ध है, बेरोजगार लोग शीघ्र संपर्क करें-9876543210, मनीष नाम का लड़का बहा से गुजरता है ओर बह वोर्ड पढ़ता है)

मनीषः (वोर्ड पढ़ते हुए) यार सरकारी नोकरी की जरुरत तो मुझे भी है, अगर सरकारी नौकरी लग गई तो दहेज में थार लूंगा, चलो देखते है अंदर जा कर

विक्रमः ( जो सरकारी नौकरी की दुकान का मालिक है फोन पर ) हां हलो आ रही है आवाज, ................... नही नही हमारे यहां नौकरी की होंमडिलेवरी चालू नही है, जल्द ही यह सेवा चालू हो जायेगी लेकिन अभी तो आपको यही आकर लेनी पड़ेगी ...................................ठीक है ओके रखते है..

मनीषः (दरवाजे पर खड़ा होकर) भाई साहव मैने बाहर जो मैने वोर्ड पड़ा बह सही है, सरकारी नौकरी यही मिलती है

विक्रमः हां भाई साहव आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा है, नोकरियां यही मिलती है, आईये वैठियें

मनीषः क्या यह सच में संभव है ?

विक्रमः अरे यार कैसी वात कर रहे हो, मैने सेकड़ो नोकरियां बेंची है,आपको कौन सी दिखाउ

मनीषः क्या यहां सच में कोई भी नोकरी मिल सकती है....

विक्रमः अरे नोकरी का नाम तो बताओ

मनीषः मुझे गूगल का सीईओ वना दो

विक्रमः यह नोकरी तो उपलब्ध नही है, क्योकि यह भारत के बाहर की है कोई भारत के अंदर की मांगो

मनीषः तो ऐसा करों मुझे कलेक्टर की नोकरी दे दो, मै मुहल्ले वालों को दिखाना चाहता हूं, जो कहते थे पढ़लिखकर कलेक्टर थोड़ी वन जाना है...

विक्रमः यह तो केवल एक ही उपलब्ध है, जो मुझे बुआ के लड़के को देना है....

मनीषः अरे यार कुछ भी करों मुझे यही नोकरी चाहिए...

विक्रमः ठीक है 10 लाख रुपये लगेंगे

मनीषः इतने पैसे तो नही है मेरे पास, ऐसा करों कोई ओर दिखाओ 10-20 हजार रुपयें में

विक्रमः 50 हजार से कम में कोई भी नोकरी नही है मेरे पास

मनीषः ठीक है तो दिखाओ, मै व्यवस्था कर दूंगा

विक्रमः इनमें से कौन सी दिखाउ, पुलिस कांस्टेवल, वकील, हवलदार,ट्राफिक पुलिस, पटवारी, सचिव, केसियर इनमें से बताओ

मनीषः आर्मी की नही है क्या ?

विक्रमः इंडियन आर्मी में चूतियां नही चलते है, उसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जितनी मैनें बोली है उन्में से ही बताओ

मनीषः ठीक है, बैंक केसियर की दे दो

विक्रमः बैक केसियर की नही है वो,

मनीषः तो कौन सी है आपने बोला था न केसियर

विक्रमः है तो केसियर जैसी ही, बह दारू के ठैके पर जो केस आता है उसको गिनना है बस, इस पेपर पर साइन कर दो ओर उसमें 50000 रुपये एडवांस लगेंगे

मनीषः दारु के ठेकेपर तो वो मुझे ऐसी बैसी नौकरी नही करनी है,, बैसे तनख्वाय कितनी है उसकी

विक्रमः यही कौई 61200 रुपयें

(तनख्वाय सुनते ही मनीष पेपर पर साइन करने लगता है...)

मनीषः सर सर सर, पेमेंट कैस चाहिए या गूगल पे कर दूं

विक्रमः कुछ भी कर दो सभी प्रकार की पेमेंट या स्वीकार है

(मनीष ऑनलाईन ही पेमेंट कर देता है)

विक्रमः ठीक है जाओ तीन दिन के अन्दर आपको ज्वायनिंग लेटर घर पहुंच जायेंगा...

(मनीष घर निकल जाता है, तभी आनंद की इंट्री होती है)

आनंदः (जय राम जी सर) सर कोई अच्छी सी धासूं नौकरी बताओ, जिसमें काम कम करना पड़े और मुनाफा ज्यादा हो

विक्रमः तो इसके लिए तुम्हे नेता बनना चाहिए, और नेता बनने के लिए चुनाव लड़ना पड़ेगा

आनंदः चुनाव वुनाओ के चक्कर में हमे नई पड़ने बैसे भी अपने कर्म ऐसे है कि मुझे मेरे घरवाले भी बोट नही देगें आप ही बता दो कोई नोकरी

विक्रमः मेरे पास तुम्हारे लिए एक नोकरी है,

आनंदः कौन सी, थोड़ी जल्दी बताओ

विक्रमः वकील की, इसमें तुम जितने मर्जी चाहै पैसे कमाओ

आनंदः नही, वकील मतलब काला कोट, और काला कोट पहनने के बाद मेरा ओर मेरे कोट का कलर सेम हो जायेंगा फिर में किसी को दिखूंगा ही नही

विक्रमः बात तो सही है, तुम एक काम करों पुलिस कांस्टेवल की कर लो

आनंदः नही मैने देखा है फिल्मों में अगर कोई पुलिस बाला ईमानदारी से नोकरी करता है तो उनके घरवालों को गुण्डे उठा कर ले जाते है, और बेईमानी से करो तो नोकरी से निकाल दिया जाउंगा तो ऐसी नौकरी करने का क्या फायदा...

विक्रमः ऐ बात भी सही है, तो तुम ऐसा करों पटवारी की नोंकरी करलो, इसमें कोई झंझट नही है और कमाई भी अच्छी है,

आनंदः नौकरी तो अच्छी है लेकिन एक समस्या है कि पटवारी में खेत का जोड़ना, घटाना गुणा भाग के बहुत करना पड़ता है और जमीन का नक्शा भी बनाना पड़ता है, और आप तो जानते ही हो मैं ठहरा आर्ट स्टू़डेन्ट तो मुझे यह सब बिल्कुल भी नही आता, जब आता ही नही तो ऐसी नोकरी करने का क्या फायेदा

विक्रमः मेरे पास सबसे आसान एक नोकरी है, जिसे बस तुम्हारे बस की बात है वो है चोकीदार की

आनंदः चौकीदार में कभी रात की भी ड्यूटी करनी पड़ती है हैना

विक्रमः हां वो तो है....

आनंदः ओर रात के समय मुझे भूतों से डर लगता है, ओर डर के कारण मेरी जान जा सकती है, इसिलिए मै ऐसी नौकरी क्यो करूं जिसमें मेरी जान को खतरा हो

विक्रमः चल निकल मेरे पास कोई भी नोकरी नही है...

(विक्रम, आनंद को बाहर निकाल देता है, उसके बाद विशाल की इंट्री होती है)

विशालः ऐ कैसी नौकरी दी थी आपने मुझे

विक्रमः इतनी अच्छी तो दी विजली विभाग अधिकारी की क्यो क्या हुआ

विशालः क्या हुआ का क्या मतलब, दो महीने में ही सस्पेण्ड हो गया मैं

विक्रमः तो इसकी थोड़ी कोई गारंटी होती हैं, नौकरी न मिली होती तो बताते

विशालः तो नौकरी के बारे में बताया तो होता क्या क्या कैसे-कैसे होता है...

विक्रमः सस्पेण्ड कैसे हुए यह तो वताओ

विशालः एक बार मुझे ऊपर आदेश आया कि जिसका विल न भरा हो उन सभी का कनेक्शन काट दो

विक्रमः हां तो तुमने काटा नही होगा

विशालः काटा न मैने देखा, कि हमारे बिजली ऑफिस का विल भी पेंण्डिग पड़ा है, तो मैने अपनी बिजली का कनेक्शन भी काट दिया, उसी दिन कम्पूटर पर मैल आया कि आज 33केव्ही बंद रहेगी

विक्रमः हां तो तुमने बंद नही की होगी

विशालः मेल कैसे देखता, विजली ऑफिस की लाईट जो कटी थी, ओर मेल कम्पयूटर में खुली थी , मुझे कॉल आया कि 33 केव्ही बंद कर दो. मुझे समझ आया 33 की भी बंद कर दो,

विक्रमः तो क्या हुआ

विशालः चूकी 33 नंबर की लाईन कलेक्टेड में जुड़ी थी, जो मैने बंद कर दी, तो कलेक्टेड के भी सारे काम रुक गये जिससे फिर मुझे कलेक्टेड से कॉल आया की तुम सस्पेड हो गये,आज सुबह मुझे हमेशा के लिए सस्पेण्ड होने का लेटर मिल गया

विक्रमः हा तो इसकी गारंटी थोड़ी थी तुमने सही से काम नही किया तो तुम सस्पेण्ड हो गए इसमें मेरी क्या गलती

विशालः ठीक है अव मुझे दूसरी नौकरी तो दो, अबकी मन लगाकर काम करूंगा

विक्रमः नही शायद आपने साइन करते वक्त यह लेटर नही पढ़ा था, इसमे साफ लिखा था, न तो यहा से कोई दूसरी नौकरी मिलेगी न ही बदली जायेगी, द्वारा चाहिए तो पढ़ाई करके ही मिल सकेगी, अब तुम जाओ और मन लगाकर पढ़ाई करों

(विशाल भी चला जाता है, उसके बाद तीन दिन बाद मनीष वापिस आता है)

मनीषः सर आपने तो जो मुझे केसियर की नोकरी दी थी बह 61200 रुपये की थी न

विक्रमः हां आ गया ज्वायनिंग लेटर

मनीषः ज्वायनिंग लेटर तो आ गया, 5100 रुपये महीने

विक्रमः हां तो महीने के 5100 हजार साल के 61200 सही तो है

मनीषः मैने तो सोचा था 61200 महीने के है, मुझे नही करनी है यह नौकरी मुझे पुलिस की नौकरी दे दो

विक्रमः आपके सोचने से क्या होता है, यह रहा वह लेटर जिसमें साफ लिखा था, न नौकरी बदली जायेगी न ही इसमे लगे पैसे बापिस होगे

(विक्रम मनीष को बह लेटर दिखादेता है, मनीष सिर पर हाथ पटकर चला जाता है)

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