Bhulakkad

भुलक्कड़

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(विक्रम कही जाने के लिए तैयार होकर आता है और गाड़ी में के पास खड़े लोगो से कहता है.

विक्रमः अरे हटो यार अर्जेन्ट मीटिंग में जाना है। (तभी) अरे यार मैं तो गाड़ी की चाबी लाना ही भूल गया....(फिर घर जाकर) अरें लेने क्या आया था सायद पानी पीने आया होउंगा...(पानी पीने के बाद) अब मुझे जाना कहा था, सायद ऑपिस जाना था, ठीक है जल्दी जाना होगा नही तो ट्रेन छूट जायेगी

मनीषः और भाई कहा जा रहे हो ऐसे मटक मटक के...

विक्रमः (कहा जा रहा था यार में ) अरे यही अपनों आम को पेड़ लगो है, उतई तक जा रये, घर में बहुत गरमी लग रई

मनीषः (आम तोड़ वे तो हमें भी चलने) चलों हमें सोई लुआ चलो यार भाई

विक्रमः हमाई ससराल जाके का कर हो, उते बैसई कछू काम नईया, बेसई भैस को दूध नई मिलत

मनीषः ससराल, भेस को दूध जो का कै रयें, अबे तो बोल रये थे, के आम तोड़ वे जा रये हते,

विक्रमः हमने आम की कबे कई, हम बोलतई जा रये के हम, नरवा सपरवे जा रये तो समझमें नई आ रई तुमाई,

मनीषः अब जो नरवा कहा से आ गओ, मालक, और पहली बात तो तुम कपड़ा नई लये और दूसरी बात नरवा में पानी कहा है. विल्कुल भलक्कड़ हो कय

विक्रमः भुलक्कड़ कौन से बोल रओ रे, फिर हम भूल जे के तुम हमाये गुरु आओ,

मनीषः गुरू, अब हम तुमये गुरू कैसे हो गयें

विक्रमः तुम जबसे जो ज्यादा ज्ञान नई पेल रयें, ई हिसाब, तुम हमाये गूरु भये के नई भयें, अब तक तुम तनक भाड़ में जाओ, हमें सब्जी लेबे जान देओ,

मनीषः सब्जी लेबे, मालक निकलों, लेट हो जेहो

विक्रमः कयरे तोये शरम नई आउत नौकर के होते हुए मालक सब्जी लेबे जे है,

मनीषः कौन नौकर,

विक्रमः जब तुम हमसे मालक के रये तो तुम नौकर भये के नई भयें, हम कब से बक रये के जाओ जल्दी से पेड़ो पे पानी डाल के आओ, फिर भी तुमाई समझ में नई आ रई, इते बहस करवे लगे, सुबेरे से,

मनीषः अब जो पेड़े पे पानी, और सुबह से कहा, अबई दुपहरियां में तुम हमसे मिले,

विक्रमः चलो हमसे ज्यादा बहस ने करों हमें अब जान देओ, खेत में ढोर घुस गये हुइएं

मनीषः हओ निकलों , देरी हो जे है...

विक्रमः देरी हो कौन हमें बखर हांक वे आ जाने,

मनीषः अरे हमे देरी हो जै है, जान देऔ अब,

(मनीष चला जाता है...... दूसरे सीन में विक्रम कही जा रहा हो)

आसूः और कहा जा रये ,

विक्रमः कय तुम हमें पहचानत हो

आसूः अब पहचानवे में क्या धरों, तुम हमें रास्तें में मिल गये तो पूछ लई, का पता तुम भी वही जा रहे हो जहां हम जा रयें.

विक्रमः हां बैसे एक बात तुमने सही कई, रास्ते कही भी जायें एक बार मिलते जरूर है., क्योकि दुनिया तो गोल है,

आसूः हां बो तो ठीक है पर मैने ये बात आपसे कब कही,

विक्रमः अरे कहने में से क्या रखा है, गोल है तो है, बैसे मैं आपका नाम जान सकता हूं,,,

आसूंः हां क्यों नहीं, काम करता हूं धासूं, मेरा नाम हैं आसूं... और तुम्हारा नाम क्या है..,,,,,

विक्रमः मेरा, अरे क्या था मेरा नाम, खाता हूं सिर्फ गक्कड़, मेरा नाम हैं ...

आसूंः भुलक्कड़

विक्रमः भुलक्कड़ किसको बोला वे ,पक्कड़ सींग नाम है मेरा सब याद रहता हैं, अ से अः तक ABCD, 1 से 10 तक गामा, A से K तक गिनती

आसूंः आएं K तक ठीक हैं पर गिनती में K कहां आता हैं.

विक्रमः कैसे नही आता है, A For एक, K मतलब हजार,

आसूंः सही के रयें, वैसे जा कहां रयें बताई नईयां तुमने हमें,

विक्रमः अरें जा तो तनक हम अमियां तोड़ वे खो जा रयें, लेकिन तुमने अपने नाम भी नई बताओ

आसूः अरें यार बताओ ने हतो आंसू,

विक्रमः अरें हमाओ नाम आसूं नही है यार

आसूंः आसू तो हम आये , तुम तो आओ भुलक्कड़

विक्रमः भुलक्कड़ किसको बोला वें, चील जैसी याददाश्त हैं मेरी,

आसूंः औ भाई औए, चील जैसी निगाहैं होती है, याददाश्त नही

विक्रमः अरे कौन जैसा क्या होता है, इससे अपन को क्या, अपन को तो सिर्फ आने वाली यूपीएसी की परीक्षा पास करनी है बस,

आसूंः अरे वा बहुत बड़े सपने है आपके, इसका मतलब कलेक्टर बनोंगें, फार्म भर दिया

विक्रमः वो तो ठीक है बैसे आपका नाम क्या है..

आसूः नाम कितनी बार वताया हैं, आसूं

विक्रमः नंबर एक मेरा नाम आसूं नही है, और तुमने कब बताया अपना नाम

आसूूंः मालक हमें निकलन देऔ,

मनीषः अरे कहा लगे इन भुलक्कड़ महोदय की बातों में,

विक्रमः आप कौन है, हम दोनों भाईयें के बीच बोलने वाले, और भुलक्कड किसको बोला वे पक्कड़ सींग नाम है मेरा,

आसूंः तुम कैसे जानत है इनको,

मनीषः अरे हुई थी एक बार मुलाकात मेरी इनसे, बड़ी मुश्किल से पीछा छूटा था, अबई देखना मैं इससे पैसा मंगाता हूं, ओर ऐ लेने से भूल जायेगा

मनीषः (विक्रम से) मेरे वो पेसे दो जो उस दिन लिए थे,

मनीषः (विक्रम से) मेरे वो पेसे दो जो उस दिन लिए थे,

विक्रमः कौन से पैसे, दिखाओ कौन से पैसे थे

मनीषः ये 500 का नोट नही दिया था मैने तुम्हे, भूल गये,

विक्रमः अच्छा द्वारा देकर दिखाओ कैसे दिया था,

मनीषः ये लो ऐसे,,,,

विक्रमः फिर मैने उसका क्या किया था,

मनीषः फिर तुम उसे लेकर चले गए थे,

विक्रमः

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